शुक्रवार, 14 नवंबर 2008

आज का वतन

यह देश था अलबेलों मस्तानो और वीर जवानो का,
पर हो गया भ्रष्ट नेताओं, गद्दारों और बेईमानो का !

ईमान यहाँ पर रोता है ,
पाप पिता के कड़वे सच को, हर बच्चा यहाँ ढोता है !
संस्कार हो रहा नित शर्मसार यहाँ पर ,
यहाँ तो बेईमानी में हर बेटा बाप का नेता है !
सत्य और अहिंसा हो गयी ,किताब की कोरी बातें ,
अब तो चोरी और सीनाजोरी में,
हर शिशु एक नए सिद्धांत का प्रणेता है !

तन ढकने को वसन यहाँ पर कमतर पड़ते ,
आदिम युग में जाने को हम ऐसे लड़ते !
कामुकता तो जैसे अब श्रृंगार बना ,
अधखुलापन ही, अब वनिता का हार बना !
नारी की गरिमा, कामुक होकर पृष्ठों पर यहाँ बिकती है ,
विवाहेत्तर संबंधो का कड़वा सच भी, हर घर में यहाँ दिखती है !

पाखंडी यहाँ तपस्या करते ,
ऋषि मुनि मठ में लड़ मरते !
मन्दिर की मूरत चूरी हो जाती ,
फिर भी सुध नही सुर को आती !
लोभ मोह बन गए पूजा के दो फूल ,
कहा मिलेगा अब हमको भवसागर का कूल !

तरकीबे अपराध की रोज नयी यहाँ पर ,
यहाँ तो रक्षक ही भक्षक बन जाते है !
आतंकी और नक्सली यहाँ कुसिद्धान्तो की बलि वेदी पर,
असंख्य मानव की नित बलि चढाते है !
हिंसा और प्रतिहिंसा के जलाते अंगारों में ,
समाज सवेदना अपनी यहा खो जाते है !

हिंसा अंकुरित हुई राजनीति पर ,
राजनीति ने दानव से गठजोड़ किया !
चोला बदला नेताओं ने
मूल्यों ने कुछ ऐसा मूह मोड़ लिया !
न्यायालय ने भी परिधान बदलकर ,
पैसो और राजनीति से यह कैसा त्रिजोड किया ?
प्रशासन ताक रहा बेईमानी के सीके को ,
परिवर्तन की इस आंधी ने,
यह कैसा कुत्सित बेजोड़ किया !

यह देश था अलबेलों मस्तानो और वीर जवानो का,
पर हो गया भ्रष्ट नेताओं, गद्दारों और बेईमानो का !

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